हसरत है यही दिल मे मैं काम वो कर जाऊँ।
सर रख के तेरे दर पर आराम से मार जाऊँ।
कहने को तो कहते हैं दीवाना मुझे तेरा।
उल्फ़त में कही आक़ा हद से ना गुजर जाऊँ।
सूरत को तेरी मैंने इस दिल मे उतारा है।
सब तेरा कहें मुझ को सरकार जिधर जाऊँ।
हो जाऊँ फना ऐसा आक़ा तेरी उल्फ़त में।
आँखों मे समा कर के मै दिल मे उतर जाऊँ।
